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वैसे तो आप सभी जानते हैं कि मां नर्मदा की गोद से हर तरह के कंकड़-पत्थर निकलते हैं। जिसमें 1 इंच से लेकर 20 फीट तक के पत्थर पाए जाते हैं। नर्मदा नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है। जिसमें से शिव स्वरूप पत्थर निकलते हैं, जो साक्षात भगवान भोलेनाथ का स्वरूप हैं।
जो बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली शिवलिंग हैं, जिनसे सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है, मां नर्मदा की गोद से निकलने वाले सभी कंकड़-पत्थर भगवान शिव का रूप माने जाते हैं। जिसमें 1 से 4 इंच का नर्मदेश्वर शिवलिंग घर के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
घर या ऑफिस में 2 इंच का नर्मदेश्वर शिवलिंग रखने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और ऑफिस में नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित करने से काम में तरक्की मिलती है। नर्मदेश्वर की पूजा करने से घर की दरिद्रता दूर होती है और धन, ऐश्वर्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अगर आप लंबे समय से बीमार हैं तो रोजाना महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें, इससे सभी बीमारियों से राहत मिलती है। श्रावण मास में इसकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है और भगवान शिव की कृपा से हर मनोकामना पूरी होती है।
सभी प्रकार के नर्मदेश्वर शिवलिंग || अरिजनल नर्मदा शिवलिंग
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नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा विधि-
- सुबह स्नान करके एक बड़ी थाली में शिवलिंग को शिवजी की मूर्ति के सामने रखें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. इसके बाद दूध, दही ओर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें और फिर से जल चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति के सामने बेलपत्र और नैवेद्य चढ़ाएं।
- इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और ओम नमः शिवाय का जाप करें।
2 इंच नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा से खरीदे || शिवलिंग online
माँ नर्मदा के किनारे बसे बकावां गाँव से आप अरिजनल नर्मदेश्वर शिवलिंग खरीदे सकते है क्युकी भारत मे केवल बकावां गाँव मे ही शिवलिंग बनाए जाते है बकावां गाँव के 500-700 परिवार शिवलिंग निर्माण का कार्य करते है
कारीगरों द्वारा माँ नर्मदा के तल से सभी आकार-प्रकार ओर कलर के पत्थर निकाले जाते है ओ फिर इन्हे मशीनों द्वारा तरास कर शिवलिंग की तरह आकार दिया जाता है| पहले यह पत्थर पूरी तरह शिवलिंग के आकार के अंडाकार होते है थे|
परंतु नर्मदा मे बांधों का निर्माण होने के कारण पानी का बहाव धीमी गति का हो गया है| जिससे पत्थर पूरी तरह शिवलिंग का रूप नहीं ले पाते इसलिए इन्हे मशीनों द्वारा तरास कर शिवलिंग का आकार देना पड़ता है तभी यह जलधारी पर स्थापित हो पाते है| “ॐ नमः शिवाय”