जैसा की आप सभी जानते है की शिवलिंग साक्षात् भगवान भोले नाथ का स्वरूप है | जिसकी महिमा का वर्णन पुरानो में भी मिलता है| जिसकी महिमा अनंत है | क्युकी भगवान भोलेनाथ देवो के देव महादेव है| “जिनका न कोई अदि है अंत “आप जब भी शिव पूजा करते है तो उसमे शिवलिंग का होना आवश्यक क्युकी शिव पूजा शिवलिंग के बिना अधूरी मानी जाती है|
भगवान भोलेनाथ को जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माना जाता है क्युकी भोलेनाथ अविनाशी और निराकार परब्रह्म है जिनकी पूजा बहुत ही सरल और आसान होती है|
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति शिवलिंग से निकलती है और पुनः इसी में समाहित हो जाती है | इसीलिए नर्मदा नदी के शिवलिंगों को चमत्कारी गुणों वाला, भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने में उत्कृष्ट कहा जाता है और इस शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत पुण्यदायी है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग सभी शिवलिंगों में सबसे शक्तिशाली शिवलिंग माना जाता है | क्युकी नर्मदेश्वर शिवलिंग ही एक ऐसा शिवलिंग है | जिसमे समस्त ब्रहमांड की ऊर्जा समाहित है | जिसमे सृजन और नाश दोनों की शक्ति समाहित है | नर्मदेश्वर शिवलिंग को सीधे माँ नर्मदा के तल से निकाल कर घर या ऑफिस में स्थापित किया जा सकता है |
इन्हें प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नही होती है | यह स्वयंभू शिवलिंग है | कई शिवलिंगों की पूजा से जो फल प्राप्त होता है उससे सौ गुना अधिक मिट्टी के से बने शिवलिंग के पूजन से होता है और हजारों मिट्टी के शिवलिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौ गुना अधिक फल नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा से मिलता है
घर- गृहस्थी वाले लोगों को पांच देवतावो की पूजा करनी चाहिए जिसमे शिव की पूजा का महत्व भी बताया गया है गृहस्नथ जीवन को सुखमय बनने के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग अत्यंत शुभ फलदायक है|
नर्मदेश्वर शिवलिंग का नाम माँ नर्मदा से प्राप्त होने के कारण नर्मदेश्वर शिवलिंग रखा गया | क्युकी माँ नर्मदा को वरदान प्राप्त है की नर्मदा के तल के जितने भी पत्थर है वे सभी शंकर के रूप में पूजे जायेगे |
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कहानी || narmadeshwar shivling story
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पुरानो में कहा गया है की प्राचीन काल में नर्मदा नदी ने जब गंगा नदी के समान होने के लिए निश्चय किया और ब्रह्मा जी की तपस्या करने लगी क्योकि ब्रह्मा जी ही एक ऐसे देवता है जो वरदानो के लिए प्रसिद्ध है|किसी भी देवता या दानव को जब वरदान प्राप्त करना रहता था.
तो वे ब्रह्मा जी की ही तपस्या करते थे, इसलिए माँ नर्मदा ने भी ब्रह्मा जी की तपस्या की और ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया| तब ब्रह्मा जी ने नर्मदा से वरदान मागने को कहा, तब नर्मदा ने कहा की मुझे गंगा नदी के समान पाप नाशिनी तथा पूजनीय बना दीजिये ,
जिससे लोग मेरी पूजा अर्चना करे और मेरा नाम प्रख्यात हो तब ब्रह्मा जी ने कहा ,की इस संसार में एक समान कोई नहीं हो सकता है,क्या भगवान विष्णु के समान कोई दूसरा पुरुष हो सकता है|
क्या कोई दूसरा देवता भगवान शिव बराबरी कर सकता है| या देवी पार्वती के समान कोई दूसरी नारी हो सकती है नर्मदा जी ने ब्रह्मा जी की बात सुनकर वहा से चली गयी उसके बाद
माँ नर्मदा ने भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए पिलपिला तीर्थ काशी पूरी में शिवलिंग की स्थापना की और तपस्या करने लगी.तब भगवान शिव नर्मदा की तपस्या से बहुत प्रसन्न हुए ,और वरदान मागने को कहा
तब नर्मदा ने कहा की भगवान मुझे इतना ही वर दीजिये की आपके चरणों में मेरी भक्ति सदैव बनी रहे|नर्मदा की बात सुनकर भगवान शिव शंकर बहुत प्रसन्न हुए और कहाँ की नर्मदे तुम्हारे तल पर जितने भी कंकर है
वो सभी शंकर हो जायेगे और तुम्हारे दर्शन मात्र से सम्पूर्ण पापो का नाश हो जायेगा. इतना कह कर भगवान शंकर उसी लिंग में सदा के लिए लींन हो गये
माँ नर्मदा भी इतने वरदान और पवित्रता पाकर बहुत प्रसन्न हुई| तभी से नर्मदा के कंकर को शंकर के रूप में पूजा जाता है जिसे नर्मदेश्वर शिवलिंग के नाम से जानते है.
ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग की पहचान|| असली नर्मदेश्वर शिवलिंग || original namadeshwar shivling || नर्मदेश्वर शिवलिंग
हम जब भी कोई चीज खरीदते है तब यही सोचते है की यह असली है| या नकली और जब शिवलिंग की बात अति है तो तब हमें ज्यादा की सतर्क होने की आवश्यकता होती है और हम यह निर्णय लेने में सोचते है की कहा से ख़रीदे और असली शिवलिंग कैसा होगा तो हम आपको बतायेगे की ओरिजिनल नर्मदेश्वर शिवलिंग की पहचान कैसे करे|
यह शिवलिंग माँ नर्मदा के तल से निकाले जाते है और जितने भी कंकर-पत्थर निकलते है वह असली नर्मदेश्वर शिवलिंग होते है जिनको ध्यान से देखने पर इनमे अनेक प्रकार की अक्रतिया उभरी हुयी दिखाई देती है |
जैसे ॐ की आकृति ,जेनेऊ की आकृति , तिलक की आकृति ,गणेश की आकृति ऐसे अनेक प्रकार की आकृतिया उभरी दिखाई देती है असली नर्मदेश्वर शिवलिंग को हाथ में रखने से ही हमें उर्जा का एहसास होता है असली नर्मदेश्वर शिवलिंग चिकने और छेद रहित होते है |
माँ नर्मदा में डुबकी लगाकर जो भी पत्थर हाथ में आता है उसे आप श्रध्दा भाव से अपने घर में स्थापित कर सकते है | क्युकी नर्मदेश्वर शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है| असली नर्मदेश्वर शिवलिंग कारीगरों द्वारा नर्मदा से पत्थर निकाल कर उन्हें तरास कर तैयार किया जाता है | जो चिकने और सुन्दर दिखाई देते है